Saturday, October 25, 2008

मेरा प्यारा दोस्त

ये बात उस समय की है जब मै मांटेसरी स्कूल में पढ़ता था। उस वक्त हम लोग छोटे छोटे थे पर पढ़ने में कॉम्पिटिशन समझने लगे थे, पर सभी लोग तो फर्स्ट नही आ सकते थे इस लिए class teacher ने हर महीने के लिए किसी एक को फर्स्ट घोषित करने का तरीका खोज लिया। उन्होंने ये नही समझा कि इसका प्रभाव किसी के बालमन पर क्या पड़ेगा जब फर्स्ट न आने पर उसे घर में पिटाई पड़ेगी। मेरा सबसे प्यारा दोस्त संजीव घर में जमकर पिटा, वह भी तब जब हम लोग सुबह स्कूल जाने के लिए उसे लेने घर पहुंचे। बस फ़िर क्या था दोस्ती कुछ दिनों के लिए टूट गई और हम लोग अकेले अकेले स्कूल जाने लगे।

7 comments:

शोभा said...

आपका स्वागत है.
दीपावली की शुभ कामनाएं

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

dosti to aisi ho jaise sriram or nisad raj kee, arjun krishan kee

shama said...

Aagekaa intezaar hai!
Diwalikee anek shubhkamnayon sahit aapka swagat tatha mere blogpwe aaneka snehil nimantran!
Gar word verification hata den to bada achha rahega...!

Manish4all said...

Happy Diwali to all my bloggre friends.

रचना गौड़ ’भारती’ said...

प्रसंशनीय.

sanjeevjain said...

HI Manish ! I have been going through yr blog regularly but couldn't comment. Keep writing.Waise bhee tumhe likhane me maharat hasil hai. We still love each other bhale hi na mil pa rahe hain. But really tell u ki kitna Proud feel karta hoon tumhari Standing aur Tarakee dekh kar.Bachapn ki wo sari batain tumhe yaad hai. GR8. Ishwar se bas yahi dua hai hai ki tum samaj,dosto aur jabalpur ke bhale ke liye hamesha har kaam me safal ho.Bhopal aao to milna jaroor.

Manish4all said...

Thanks Sanjeev