Friday, November 14, 2008

पहला पाठ

दिन तो मुझे याद नहीं पर ये वाकया है संभवतः जुलाई 1990 का, मैं और मेरा एक दोस्त पत्रकारिता में प्रवेश लेने के लिए यूनिवर्सिटी पहुंचे। कुछ कारणों से यूनिवर्सिटी में हमें सभी जानते थे इस कारण जोर से पूछा- 'यहाँ कौन है,' चपरासी जो हम लोगों को जानता था तत्काल बाहर आया और पूरा सम्मान देते हुए उसने काम पूछा। हम लोगों ने उससे कहा कि प्रवेश चाहिए, इससे पहले कि वह कुछ कहता अंदर से किसी महिला कि आवाज आई- 'कौन है?' जवाब चपरासी ने दिया- 'भैया लोग हैं, प्रवेश लेना चाहते हैं।' अंदर से पुनः आवाज आई- 'पहले हमारे पास भेजो।' न चाहते हुए भी अंदर गए वहां विभागाध्यक्ष बैठी हुईं थीं, उन्होंने हम दोनों का पूरा इंटरव्यू लिया और फ़िर कहा- 'पहले प्रवेश परीक्षा दो, फ़िर प्रवेश मिलेगा वह भी तब जब मेरिट लिस्ट में नाम आएगा।' हम दोनों ने प्रवेश परीक्षा दी और सेलेक्ट भी हो गए। खुशी हुई कि कड़ी प्रतिस्पर्धा में चुना गया। वैसे विभाग के बारे में यह विख्यात था कि यहाँ प्रवेश उसी को मिलता है जिसे मैडम चाहती हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि मैडम ने हम दोनों को प्रवेश दिया क्यों? सत्र के बीच में एक दिन खुलासा हुआ, मैडम ने क्लास में सभी को बताया कि मनीष जब प्रवेश के लिए आया था तो हाफ पैंट पहना था। उसके पैर में चोट लगी थी और उसे बारिश में भीगने से बचाने के लिये उसने पोलीथिन लपेट रखी थी, वो प्रवेश परीक्षा के बाद भी जब जब लिस्ट देखने आया तो वैसी ही स्थिति में आया, उसकी लगन देखकर मैंने तय कर लिया था उसे तो प्रवेश देना ही है। जब मेरिट लिस्ट बन रही थी तो पाया कि मनीष के नम्बर तो अच्छे हैं लेकिन उसके दोस्त के नम्बर कम थे पर दोनों का साथ देखकर दोनों को ही प्रवेश दे दिया। मैं जिंदगी मे इस पहले पाठ को कभी नहीं भूल पाउँगा कि किसी भी काम के लिये पहली शर्त लगन का होना है.



3 comments:

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

आपकी लगन ही आपकि जीत बनी, साराश साफ है मेहनत रग जरुर लाती है मनीषजी॥
आपके उजवल भविष्य के लिये मेरी मगल कामना।
आपको मेरा निमन्त्रण मेरे ब्लोग पर जरुर पधारे।

Unknown said...

Dear Manish, really its fact. I am also strong believer of devotion & committment towards your job, no matter what it is. You have to give 100% irrespective of the importance. So many persons are having various degrees in diff fields but they could not achieve the heights of such level like you.

God Bless You

Anupam

मेरे मुहल्ले का नुक्कड़ said...

maine bhi apka anusharan karne ki koshish ki hai.
ajay