Wednesday, November 12, 2008

नई राह, नई चाह

युवा मन में तरक्की की चाह होना स्वाभाविक है और होना भी चाहिए, लेकिन इसके साथ मौकापरस्त होने का टैग नहीं लगना चाहिए। अगर यह टैग लग जाए तो कैरियर को ख़त्म होने में कुछ ही साल लगते हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए नई राह खोजने के लिए चाह हमेशा बनी रहनी चाहिए। यही चाह उसे शीर्ष पर पहुँचने में मदद करती है बशर्ते ईमानदारी का गुण कायम रहे, हालाँकि यह काम काफी कठिन होता है और दोस्त तथा परिजन कभी-कभी gussa हो jate हैं पर यह narajagi कुछ समय की होती है, इसका सम्मान करते हुए काम में आगे badate जाना चाहिए.