जबलपुर में चुनाव कौन लड़ रहा है और किसकी क्या स्थिति है, इसकी फिक्र दिल्ली तक है। तरुण भानोत के लिए तो दिल्ली से दो दोस्तों के फोन इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद आए। आशा है कि दोस्तों के कमेन्ट भी आएंगे।
फ़िर ना हो ऐसी होली
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होली ने इस बार ऐसा गजब ढाया कि लगा जबलपुर फ़िर से संस्कारधानी से अपराधधानी
बन गया है। शहर की ऐसी कोई गली नहीं थी जहाँ चाकू-तलवारें ना चली हों। शराब की
दुकान...
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ये ब्लॉग मैंने दोस्तों के लिए शुरू किया था. मैं अपने आप को यारबाज मानता हूँ और दोस्तों से भी यारबाजी की उम्मीद करता हूँ. मैं अपनी तरफ़ से दोस्ती निभाने की पूरी कोशिश करता हूँ. जो दोस्त मेरे इस ब्लॉग को पढ़ते हैं, कमेन्ट देने में काफी कंजूसी करते हैं, फ़िर भी मैं उनका शुक्रगुजार हूँ कि वो कम से कम पढ़ते तो हैं. मैं उन लोगों का भी शुक्रगुजार हूँ जो अपने ब्लॉग से आकर इस ब्लॉग को पढ़ते हैं. मैं उन्हे दोस्ती का आमंत्रण देता हूँ.