मेरा यह ब्लॉग दोस्तों को समर्पित है, इसी उद्देश्य से इसकी रचना की गई थी, यह बात और है कि इस पर दोस्तों के उतने कमेन्ट नहीं मिले जितने कि अपेक्षा की गई थी। फिर भी जो दोस्त इसे पढ़ते हैं उनसे आग्रह है कि अपने कमेन्ट भी दिया करें।
मेरे कई दोस्त ऐसे हैं जिनका शौक खतरों से खेलना है। कुछ ऐसे है जो न चाहते हुए भी खतरों से खेल रहें है क्योंकि उनकी मजबूरी है। दोनों ही तरह के दोस्तों से मेरा आग्रह है कि सतर्क हो जायें क्योंकि आजकल खतरा कुछ ज्यादा बढ़ गया है। एक ओर आतंकियों कि नजर इस देश को लग गई है तो दूसरी ओर गद्दार सक्रिय है। इन सबके साथ उस क्वालिटी के दोस्त भी सक्रिय है जिनके रहते दुश्मनों की जरुरत नहीं पड़ती, फ़िर ठण्ड तो है ही।
फ़िर ना हो ऐसी होली
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होली ने इस बार ऐसा गजब ढाया कि लगा जबलपुर फ़िर से संस्कारधानी से अपराधधानी
बन गया है। शहर की ऐसी कोई गली नहीं थी जहाँ चाकू-तलवारें ना चली हों। शराब की
दुकान...
16 years ago