देश की व्यावसायिक राजधानी पर आतंकियों का हमला शर्मनाक है और यह समझ से परे है कि वो करना क्या चाहते हैं? उनका उद्देश्य क्या है? अगर वे अल्लाह के नाम पर ये सब करना जायज मानते हैं तो भी उनको यह तो बताना ही चाहिए कि आख़िर वे सब क्यों करना चाहते हैं और कब तक करते रहेंगे? ये तो गनीमत है कि भारत में राजनीतक कारणों से यह सब चलने दिया जा रहा है पर आज नहीं तो कल सरकार भी ऐसी शर्मनाक घटनाओं से त्रस्त हो जायेगी और वोट कीराजनीति के आगे उसे ये घटनाएँ असहनीय नजर आएँगी तब उसी दिन से शुरू हो जाएगा आतंकियों के सफाए का ऐसा क्रम जो उन्हें नेस्तनाबूद करने के बाद ही थमेगा।
फ़िर ना हो ऐसी होली
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होली ने इस बार ऐसा गजब ढाया कि लगा जबलपुर फ़िर से संस्कारधानी से अपराधधानी
बन गया है। शहर की ऐसी कोई गली नहीं थी जहाँ चाकू-तलवारें ना चली हों। शराब की
दुकान...
16 years ago